International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 32    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

मैं द्रौपदी नहीं हूँ : नारी के अंत:करण की वेदना

    1 Author(s):  DR. PRAVEEN YADAV

Vol -  4, Issue- 3 ,         Page(s) : 174 - 181  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

मैं द्रौपदी नहीं हूँ डा. ज्ञानी देवी जी का प्रथम कहानी संग्रह है। इस कहानी संग्रह में हमें ज्ञात होता है कि नारी की जीवनशैली में आज भी कोर्इ विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। उसे आज भी पूर्वकालों की तरह दासी ही समझा जाता है। वैदिककाल में नारी की सिथति उत्तम थी, परंतु जैसे-जैसे दास वर्ग का जन्म हुआ है, सित्रओं की पारिवारिक एवं सामाजिक सिथति में पतन आरम्भ हो गया है। सेवा ही नारी का मुख्य कार्य बन गया, यधपि घर का सारा काम एवं व्यवस्था अभी भी स्त्री के हाथों में है, परन्तु अपने मूल अधिकारों से वह अभी तक वंचित है।

order buy online prescription
order online

1. अरविंद जैन, औरत होने की सजा, पृ. 17
2. डाॅ. ज्ञानीदेवी, मैं द्रौपदी नहीं हूँ, पृ. 20
3. डाॅ. ज्ञानीदेवी, मैं द्रौपदी नहीं हूँ, पृ. 21
4. डाॅ. ज्ञानीदेवी, वही, पृ. 34
5. डाॅ. ज्ञानीदेवी, वही, पृ. 47
6. डाॅ. ज्ञानीदेवी, वही, पृ. 107
7. डाॅ. ज्ञानीदेवी, वही, पृ. 136
8. डाॅ. ज्ञानीदेवी, वही, पृ. 136
9. डाॅ. ज्ञानीदेवी, वही, पृ. 166
10. डाॅ. ज्ञानीदेवी, वही, पृ. 167
11. डाॅ. ज्ञानीदेवी, वही, पृ. 121
 

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details