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 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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भगवती प्रसाद वाजपेयी के उपन्यासों में चित्रित प्रेम-सौन्दर्य

    1 Author(s):  SUSHMA YADAV

Vol -  4, Issue- 2 ,         Page(s) : 168 - 173  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

भगवती प्रसाद वाजपेयी जी प्रेम-सौन्दर्य का आंकलन मूल्याकन समीचीन है। भगवती प्रसाद वाजपेयी जी का प्रेम-सौन्दर्य चित्रण सम्बन्ध विचार संकीर्ण नहीं बलिक व्यापक मानवता सापेक्ष एवं सामाजिक सरोकारों से सम्प्रक्त है। उनकी दृषिट सौन्दर्योन्मुखी से परिपूर्ण रही है। उनके उपन्यासों में निहित स्त्री-पुरूष सौन्दर्याकर्षित प्रेम और सौन्दर्य थिरकता है। उनका जीवन के प्रति सकारात्मक दृषिटकोण भी है। वे सौन्दर्याकर्षित प्रेम-सौन्दर्य के उपन्यासकार हुए है। प्रेम-सौन्दर्य की अभिव्यकित के पुरस्कर्ता वाजपेयी जी ने अपने उपन्यासों में व्यापक एवं गहरे मुल्यों को समेटा है। प्रेम-सौन्दर्य का चित्रण उनके उपन्यासों में परस्पर स्त्री-पुरूष को सौन्दर्याकर्षित प्रेम-भावना प्रधान है। 'चलते-चलते शीर्षक उपन्यास में पुरूष पात्र राजेन्द्र सौन्दर्य का पुजारी है। इनके साहित्य से प्रेम-सौन्दर्य का सम्बन्ध तथा साहित्य में इस सबका तातिवक विवेचन रेखांकित है। प्रेम और सौन्दर्य स्वरूपगत विवेचन युक्त धारणा तथा प्रेम सम्बन्धी विविध रूप वर्णित है। सौन्दर्य का स्वरूप तथा परिभाषा, प्रेम के सम्बन्ध में विविध विचार प्राकृतिक, कलात्मक, मानवीय प्रेम सौन्दर्य का पारस्परिक संबंध विवेचित है। मैं भगवती प्रसाद वाजपेयी जी के प्रेमाकर्षित सौन्दर्य बोध को अधिक विस्तरित रूप में आगे प्रस्तुत कर रहीं हूं, जो कि निम्न प्रकारों में है

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