International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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बिहार में पंचायती राजः संक्षिप्त अवलोकन ( 73वें संविधन संशोध्न के विशेष संदर्भ में)
1 Author(s): PRAVIN KUMAR SINGH
Vol - 1, Issue- 2 , Page(s) : 56 - 64 (2010 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
स्वतंत्राता-प्राप्ति के बाद स्थानीय स्वशासन को अमली जमा पहनाने वाला पहला राज्य बिहार है, जिसने सबसे पहले 1947 ईú में बिहार पंचायत राज अध्निियम बनाया। विधनमंडल से पारित होने के बाद 1948 से यह पूरे प्रदेश में लागू हो गया। उक्त अध्निियम का उद्देश्य सत्ता के समुचित विकेन्द्रीकरण को संस्थानिक रूप देना था। आम जनता में सत्ता का अध्किाध्कि पफैलाव करके जनतंत्रा की जड़ों को सुविस्तृत एवं सुदृढ़ करना ही इसका सबसे महत्त्वपूर्ण लक्ष्य था।1इस प्रकार भारतीय संविधन के निर्माण के पूर्व ही बिहार सरकार ने पंचायतों का गठन कर दिया। लेकिन ग्राम पंचायतों को आंतरिक मामलों में पूर्ण स्वायत्तता प्रदान नहीं की गयी। पांचायतें अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए सरकार पर निर्भर थी। यहाँ तक कि पंचायतों का गठन एवं निर्वाचन राज्य सरकार की इच्छा पर आधरित था। अतएव उक्त अध्निियम के लागू किए जाने के बाद भी सत्ता का लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण सपफल नहीं हो सका।