लोकतंत्र का सपना और भारतीय समाज
2
Author(s):
MADHU RANI , DR. SARVESH KUMAR
Vol - 5, Issue- 1 ,
Page(s) : 330 - 343
(2014 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
दुनिया भर में सैद्धान्तिक तौर पर किसी विचारक के महत्व को इस बात से जांचा जाता है कि उस विचारक के विचार अपने समय और हमारे समय में कितने उपयोगी रहे हैं। मार्क्स गांधी या अम्बेडकर की महत्ता महानता को भी इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। आजकलनायकों पर कब्जे की रणनीति चल रही है।
- मकान नं. 13, प्रथम तल, पाॅकेट-12, सैक्टर-24, रोहिणी, दिल्ली-110085
- सहायक प्रोपेफसर, श्याम लाल काॅलेज ;सांध्यद्ध, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
- बाबा साहेब डाॅ. अम्बेडकर, सम्पूर्ण वाघमय खण्ड 1 पृ. 276
- गांध्ी बेनकाब, हसराज रहबर, भगत सिंह विचार मंच पृ. 286
- गांध्ी बेनकाब, हसराज रहबर, भगत सिंह विचार मंच पृ. 119
- बाबा साहेब डाॅ. अम्बेडकर की संघर्ष यात्रा एवं संदेश, डाॅ. म.ल.शहारे, डाॅ. नलिनी अनिल पृ. 98, सम्यक प्रकाशन, पृ. 2009
- ैवनतबम उंजमतपंस वद क्तण् ठंइं ैंीमइ ।उइमकांतए 1 चंहम 165
- शहर का व्याकरण ‘संसद से सड़क तक’ पृ. 556.57, ध्ूमिल राजकमल प्रकाशन, 2006
- अकाल दर्शन, पृ. 17, संसद से सड़क तक, ध्ुमिल राजकमल प्रकाशन, 2006
- कम्युनिस्ट मेनीपेफस्टो, पृ.33, माक्र्स एंगेल्स, प्रगति प्रकाशन, मास्को
- कम्युनिस्ट मेनीपेफस्टो, पृ. 7, माक्र्स एंगेल्स, प्रगति प्रकाशन, मास्को
- अकाल दर्शन, पृ. 17, संसद से सड़क तक, ध्ूमिल, राजकमल प्रकाशन, 2006
- बाबा साहेब डाॅ. अम्बेडकर, सम्पूर्ण वाघ्मय खण्ड 1, पृ. 66
- वही, पृ. 193
- वही, पृ. 193
- प्रौढ़ शिक्षा, संसद से सड़क तक, ध्ूमिल, राजकमल प्रकाशन, 2006, पृ. 47
- बाबा साहेब डाॅ. अम्बेडकर, सम्पूर्ण वाघ्मय खण्ड 1, पृ. 23
- बाबा साहेब डाॅ. अम्बेडकर, सम्पूर्ण वाघ्मय खण्ड 1, पृ. 23
- पटकथा, संसद से सड़क तक, ध्ूमिल, राजकमल प्रकाशन, 2006, पृ. 101
- पटकथा, संसद से सड़क तक, ध्ूमिल, राजकमल प्रकाशन, 2006, पृ. 105
- पटकथा, संसद से सड़क तक, ध्ूमिल, राजकमल प्रकाशन, 2006, पृ. 101
- पटकथा, संसद से सड़क तक, ध्ूमिल, राजकमल प्रकाशन, 2006, पृ. 113
|