International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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‘‘प्रत्यय विवेचनम्‌’’

    1 Author(s):  LALIT PRADHAN ARYA

Vol -  4, Issue- 3 ,         Page(s) : 539 - 545  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

भारतीय शाब्दिकों ने शब्द को ब्रह्मस्वरूप माना है, जिससे सृष्टि की उत्पत्ति होती है। व्याकरण में शब्द निर्माण की प्रक्रिया में प्रमुख तीन घटकों में प्रत्यय एक महत्त्वपूर्ण घटक है। जिससे लघुता से शब्दसिद्धि होती है। शब्द में प्रमुख घटक प्रकृति होती है। इस प्रकार शास्त्र में प्रकृति और प्रत्ययार्थ के ज्ञान से पदार्थज्ञान किया जाता है। प्रकृति और प्रत्यय साथ-साथ ही अर्थों को कहते हैं, लेकिन उन दोनों में प्रत्ययार्थ प्रधान होता है। अत: इस न्याय से यहाँ प्रत्यय का विवेचन किया जाता है। इसके अन्तर्गत हम प्रत्यय की अवधारणा, परिभाषा, अर्थ, भेद इत्यादि विभिन्न विषयों पर विचार करेंगे।

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