International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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वैयाकरणों के अनुसार सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया का स्वरूप
1 Author(s): MEERA SHARMA
Vol - 4, Issue- 2 , Page(s) : 269 - 275 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
व्याकरणशास्त्र में क्रिया दो प्रकार की मानी जाती है–सकर्मक और अकर्मक। सामान्य रूप से किसी क्रिया में कर्ता के साथ जब कर्म होता है तो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं और जब कर्ता के साथ कर्म नहीं होता है तो उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। व्याकरणशास्त्र में क्रिया के सकर्मक अकर्मक स्वरूप पर लगभग सभी वैयाकरणों ने विचार किया है किन्तु प्रस्तुत शोध लेख में कौण्भट्ट, कैयट, नागेश आदि विद्वानों के विचारों को मुख्य रूप से प्रस्तुत किया गया है। महाभाष्य में धातु का अर्थ क्रिया माना जाता है।