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 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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कुमाऊँ के पर्व एवं उत्सवों का समाजशास्त्रीय अध्ययन

    2 Author(s):  RENU, DR. GITA PYAL

Vol -  3, Issue- 3 ,         Page(s) : 183 - 193  (2012 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहकर ही उसके अस्तितव की कल्पना पूर्ण है। अतः एक स्वस्थ समाज में ही मनुष्य का उत्थान सम्भव है। सामान्य रूप से स्वीकृत और प्रचलित सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्य द्वारा ही मनुष्य का विकास होता है। सभी समाजों में विभिन्न परम्पराओं एवं रीति-रिवाजों द्वारा ये मूल्य स्थापित और विकसित किये जाते हैं। विभिन्न पर्व एवं उत्सव समाज की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति मंे सहायक होते हैं। भारतीय जीवन दर्शन में धर्म मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन को स्पष्ट करता है, और केवल किसी सम्प्रदाय का प्रतीक न होकर एक आचरण संहिता के रूप में है। भारतीय परम्पराऐं, पर्व एवं उत्सवों से ओत-प्रोत है, और मनुष्य की सुख-समृद्धि एवं आनन्द की प्रतीक है। ये स्थानीय पर्व भौगोलिक विशिष्टताओं से जुड़े हुए हैं। कुमाऊँ में भी पूरे वर्ष अनेक पर्वोत्सव आयोजित होते हैं। कठिन पहाड़ी जीवन के उपरान्त भी मनुष्य में उत्साह और आनन्द का संचार करने का प्रमुख साधन पर्व और उत्सव ही हैं। प्रायः प्रत्येक माह में एकाधिक पर्व या उत्सव अवश्य मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश पर्व देश के अन्य पर्वों के समान ही हैं, किन्तु कुछ पर्व स्थानीय रूप में मनाये जाते हैं। आमोद-प्रमोद तथा हर्षोलास की प्रधानता का सम्बन्ध उत्सवों से है जिनमें स्नान, व्रत, पूजा इत्यादि सभी कर्म सम्पन्न किये जाते हैं उन्हें पर्व कहा जाता है। मानव समाज के पर्वोत्सवों के द्वारा अतीत को वर्तमान और वर्तमान को भविष्य से ही सामाजिक जीवन को निरंतरता मिलती रहती है, तथा उसका स्वरूप निर्धारित होता है। विश्व के सभी मानव-समुदायों और समूहों की आत्म-छवि का द्योतक पर्व एवं उत्सव ही है। यह मानव समुदाय को आस्था का आधार प्रदान करके जीवन के लक्ष्य तथा मूल्यों का निर्धारण भी करते हैं। ऐसा कोई भी समाज जीवित नहीं रह सकता जो स्वयं को पर्व एवं उत्सवों की परम्परा से काट कर आगे बढ़ने का प्रयास करे।

1. पाण्डेय बद्रीदत्त ः कुमाऊँ का इतिहास अल्मोड़ा, 1932
2. डबराल शिवप्रसाद ः उत्तराखण्ड का इतिहास, वीरगाथा दो-गड्डा गढवाल 2006
3. पाण्डेय जी0 सी0 ः उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था, कंसल प्रकाशन, नैनीताल 1977
4. शाह एस0एल0 ः कुमाऊँ का आर्थिक जीवन शोध प्रबन्ध आगरा विश्वविद्यालय 2012
5. पाण्डेय जी0सी0 ः आर्थिक विकास एवं नियोजन अनमोल पब्लिकेशन, नई दिल्ली 2015
6. दर्शन पन्त शिव ः कुमाऊँ की सामाजिक अर्थव्यवस्था, कोश्मो प्रकाशन, 2011
7. गड़कोटी एन0एस0 ः उत्तरांचलः सामान्य सूचनाऐं उपकार आगरा, 2006
8. पुरोहित बी0पी0 ः औद्योगिक विकास की रूपरेखा, हिमालय पीस फाउन्डेशन गोपेश्वर, 2011
9. उत्तरांचल सरकार ः बहुमुखी विकास के चार वर्ष, उत्तरांचल सूचना विभाग देहरादून, 2005
10. साह डा0 श्रीमती इला ः कुमाऊँनी लोकगीतों का समाजशास्त्रीय अध्ययन-2010

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