बदलते परिप्रेक्ष्य में महिलाओें की सामाजिक स्थिति
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Author(s):
RASHMI GAUTAM
Vol - 6, Issue- 10 ,
Page(s) : 33 - 40
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
Abstract
प्रस्तुत शोध प्रपत में बदलते परिप्रेक्ष्य मंे महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डालने से पहले हम विभिन्न कालों में महिलाओं की सामाजिक स्थिति का अध्ययन करेंगे। सामंती व्यवस्था की शुरूआत कर शासक वर्ग ने जिस समाज की रचना की उसके अंतिम पायदान पर महिला रही । सामंती समाज में सबसे ज्यादा उत्पीड़न महिलाओं को ही झेलना पड़ा है। शायद यही वजह है कि मुक्ति की भावना भी उनके अंदर ही सबसे ज्यादा होती है। वैसे तो तीसरी दुनिया के देशों में आम तौर पर महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय है और उन्हें अनेक तरह के शोषण का शिकार होना पड़ता है पर तीसरी दुनिया के देशों में भी जो पिछड़े समाज हैं वहाँं तो महिलाओं की स्थिति और भी ज्यादा खराब है। भारतीय समाज सामंती होने के साथ-साथ बेहद पिछड़ा समाज है और यहाँ तरह-तरह की अंधविश्वासों तथा अनेक मान्यताओं ने महिलाओं को शिकार बनाया है।
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