International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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लोक कला: गोरखपुर की पहचान टेराकोटा
2 Author(s): JITENDRA KUMAR CHAUDHARI , DR. INDU JOSHI
Vol - 13, Issue- 6 , Page(s) : 218 - 222 (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
भारतीय सभ्यता में कला का उद्देश्य केवल मनोविनोद या भोग विलास न था बल्कि कलात्मक आवरणों में तत्ववाद, कलात्मक विस्तार और ऐतिहासिक परम्परा के विरलेपन की प्रधानता थी। आगम तथा तन्त्र ग्रन्थों में कला का दार्शनिक अर्थ में ही प्रयोग किया गया है। कला के अन्तर्निहित तत्ववाद को भारतीय कलाकार सदैव समझता आया है।