International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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लघु नाटक : परंपरा और विकास
1 Author(s): DR. MANOJ KUMAR KAIN
Vol - 7, Issue- 9 , Page(s) : 86 - 92 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
भरतमुनि के 'नाट्यशास्त्र' से ही सभी नाट्य विधाओं का उद्भव और विकास हुआ है। वे सभी विधाएँ आज भी अपने नवीन और प्राचीन रूप में विद्यमान हैं। उन्हीं विधाओं में से एक है- लघु नाटक। भरतमुनि ने अपने रूपकों द्वारा इस विधा का संकेत 'नाट्यशास्त्र' में कर दिया था।