International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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समकालीन हिन्दी कहानियाँ और यथार्थवाद स्वयं प्रकाश के संदर्भ में
2 Author(s): DR. ABHISHEK KUMAR PATEL,SMT. BHARTI BHONSLE
Vol - 13, Issue- 6 , Page(s) : 191 - 193 (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
साहित्य में प्रचलित प्रत्येक अवधारणा का अपने समाज और परिवेश के साथ गहरा संबंध होता है। हिन्दी साहित्य के विशेष संदर्भ में बात की जाए तो आदिकाल से लेकर भक्ति, रीति, छायावाद प्रगतिवाद, प्रयोगवाद आदि धाराओं पर अपना एक सामाजिक संदर्भ है। जो वाद अपने साथ व्यक्ति की स्वतंत्रता के हिमायती दिखाई देते है वह भी कुछ विशेष अर्थो में सामाजिक कहे जा सकते है।