International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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बेडा गीत - उत्पत्ति, विकास व महत्व
2 Author(s): DR. SANJAY DATT, DR. LATA
Vol - 13, Issue- 2 , Page(s) : 11 - 15 (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
सृष्टि की उत्पत्ति के समय जब भगवान शंकर अलग-अलग जातियों को अनेक पेशे में बांट रहे थे तो बेड़ा लोग अपने नृत्य व संगीत में खाये या मस्त थे वे अपना भाग्य लेना भूल गये, जब सभी जातियों के भाग्य बंट गये, तो बेडे़ लोग अपने हिस्से का भाग्य लेने भगवान शंकर के पास गये, तो भगवान शंकर ने कहा कि अब कुछ भी नहीं बचा अतएव तुम अपनी आजीविका रस्सी पर फिसलकर तथा लम्बे डंडे में खड़े होकर और रस्सी पर गिर गिरकर मरके कमाओगे तथा साथ ही हर समय मेरा स्मरण भी रखोगे (अब तुम गा बजाकर ही अपनी आजीविका कमाओगे) तभी से ये बेड़े भगवान शंकर के भक्त माने जाते हैं।