International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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वैयाकरणों का लक्षणा-विषयक विचार
2 Author(s): KULDEEP , MANOJ ARYA
Vol - 4, Issue- 3 , Page(s) : 665 - 682 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
शक्ति के प्रसङ्ग में कौण्डभट्ट पदमात्र में ही अतिरिक्त शक्ति का समर्थन करते हैं,1 जिस प्रकार इन्द्रियों में अपने-अपने विषयों को ग्रहण करने की अनादि योग्यता है,उसी प्रकार शब्दों का अर्थों के साथ अनादि सम्बन्ध होता है। अर्थात् जिस प्रकार आँख में प्रत्यक्ष करने की अनादि कारणता है, उसी प्रकार शब्दों में भी अर्थबोधन की अनादि कारणता है, वही योग्यता है, और वही शक्ति हैं।