कुरमाली लोकसाहित्य में पहेलियों का स्थान
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Author(s):
DR. UPENDRA KUMAR
Vol - 15, Issue- 4 ,
Page(s) : 81 - 85
(2024 )
DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
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Abstract
पहेली मानव की सहज अभिव्यक्ति है। इनकी उत्पत्ति संस्कृत के प्रहेलिका के तद्भव रूप में हुई है। हिन्दी में पहेली, भोजपुरी में बाहा, बुझौवल, असमी में सथार, राजस्थानी में पारसी, आड़ी, पाड़ी वहीं कुरमाली में ’जान-केहनी के नाम से प्रचलित है।
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