International Research Journal of Commerce , Arts and Science

 ( Online- ISSN 2319 - 9202 )     New DOI : 10.32804/CASIRJ

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महिला सषक्तिकरण में शिक्षा का योगदान

    1 Author(s):  DR.JITENDRA BAITHA

Vol -  11, Issue- 5 ,         Page(s) : 61 - 67  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ

Abstract

भारतीय विद्वान भतृहरि ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘नीतिषतक’ में कहा है कि विद्याहीन मनुश्य, पषु के समान है। वैदिक काल में ही षिक्षा के महत्व को समझ लिया गया था इसलिए उस समय षिक्षण और षिक्षा को मानव जीवन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया था। इस संदर्भ में अलतेकर लिखते है कि वैदिक काल में षिक्षा के मुख्य उद्देष्य ईष्वर-भक्ति और धार्मिकता की भावना का विकास, चरित्र-निर्माण, व्यक्तित्व का विकास, नागरिक तथा सामाजिक कर्तव्यों का पालन, सामाजितक कुषलता की उन्नति तथा राश्ट्रीय संस्कृति का प्रसार-प्रचार आदि थे। वैदिक काल में महिलाओं को पुरूशों के समान ही अधिकार प्राप्त थे इसलिए उस समय भी महिला-षिक्षा पर बेहद ध्यान दिया जाता था। वैदिक काल से लेकर आज तक महिला-षिक्षा का महत्व कम नहीं हुआ है लेकिन उसकी स्थिति में लगातार गिरावट आती रही है।

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