International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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यशपाल की नारी दृष्टि और ‘दिव्या’
1 Author(s): DR. SANGEETA RANI
Vol - 9, Issue- 2 , Page(s) : 307 - 313 (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
हिंदी के उपन्यासकारों में यशपाल का विशिष्ट स्थान है। अनुभूति और अभिव्यक्ति के स्तर पर यशपाल अपने समकालीन साहित्यकारों से सर्वथा भिन्न नवीन दृष्टिकोण अपनाते हैं। प्रेमचंद के पश्चात हिंदी उपन्यास का संक्रांति काल आरंभ होता है और अनेक औपन्यासिक प्रवृतियां इस क्षेत्र में विकसित होती दिखाई पड़ती है। यशपाल इन्हीं में से एक मार्क्सवादी समाजवादी प्रवृत्ति के प्रतिनिधि सूत्रधार बनकर हिंदी साहित्य के क्षेत्र में हलचल मचा देने वाले रचनाकार बनकर उभरते हैं।